Tuesday, 17 June 2014

नाम से जानिए लव पार्टनर का नेचर, धोखेबाज है या करता है सच्चा प्यार

मेष राशि

मेष राशि वाले आकर्षक और प्रभावशाली स्वभाव वाले होते हैं। इनका व्यक्तित्व रूआब दार और मर्दाना होता है जिससे हर तरह की लड़की इन पर तुरंत ही आकर्षित हो जाती हैं। मेष राशि वाले व्यक्ति जल्दबाजी में प्रेम करते हैं और इनका प्रेम ज्यादा दिन नहीं टिक पाता। कामुक स्वभाव के कारण ये लोग शारीरिक संबंध बनाने में ज्यादा विश्वास रखते हैं।

ये लोग रोमांटिक व्यक्तित्व के धनी होते हैं। मेष राशि वाले जितनी जल्दबाजी में किसी से प्रेम करते हैं उतनी ही जल्दी अधिकांशतः: इनका प्रेम संबंध टूट जाता है और ये उस प्रेम के जाल से तुरंत ही बाहर भी आ जाते हैं।
वृष राशि

वृष राशि वाले उत्तम श्रेणी के प्रेमी होते हैं। वृष राशि वालों को प्रेम संबंध बनाने में महारत हासिल होती है। ये लोग बहुत जल्द किसी से भी प्रेम संबंध बनाने में सक्षम होते हैं। इस राशि के लोग प्रेम में काफी भावुक हो जाते हैं। अपने प्रेमी या जीवन साथी के प्रति इनके प्यार की कोई सीमा नहीं होती।

इनके रिलेशन काफी मजबूत होते हैं और ये जीवनभर रिश्ता निभाते हैं। इनका वैवाहिक जीवन काफी खुशियों भरा होता है और इनका साथी भी इनके साथ बहुत सुखी और खुश रहता है। इस राशि के लोग अपने जीवन साथी या प्रेमी को हर परिस्थिति में सहारा देते हैं और उनकी परेशानियों को दूर करने का पूरा प्रयास करते हैं। 
मिथुन राशि

इस राशि के लोगों के जीवन में सामान्यत: कई प्रेम संबंध होते हैं। इसी वजह से कई लोगों की एक से अधिक शादियां भी हो जाती हैं। इनका स्वभाव विपरीत लिंग के प्रति बहुत जल्दी आकर्षित हो जाता है। यदि ऐसा कहा जाए कि मिथुन राशि वाले दिलों से खेलना बखूबी जानते हैं तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।

ये प्रेम संबंध बनाने में माहिर होते हैं। इस राशि के अधिकांश लोग विवाह को ज्यादा महत्व नहीं देते और अन्य प्रेम संबंधों में खोए रहते हैं। ये लोग किसी जगह बंधकर नहीं रह सकते, इनका मन इधर-उधर भटकते रहता है। 

कर्क राशि

​ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कर्क राशि वाले व्यक्ति प्रेम के मामले में काफी मूडी होते हैं। ये अपने रिश्ते के प्रति ईमानदार होते हैं और उसे जिम्मेदारी के साथ निभाते हैं। कई बार इनके वैवाहिक जीवन में माता-पिता के हस्तक्षेप की वजह से कई परेशानियां उत्पन्न हो जाती हैं। ये अपने जीवन साथी या प्रेमी की भावनाओं की कद्र करते हैं।

सामान्यतः इनके जीवन में विवाह के बाद काफी परिवर्तन आ जाते हैं या ऐसा कहें कि अधिकांश कर्क राशि वालों का भाग्योदय ही शादी के बाद होता है। प्रेम संबंधों को लेकर इन लोगों में निर्णय लेने की क्षमता इतनी अच्छी नहीं होती, इनका दिमाग स्थिर नहीं रहता है। 
सिंह राशि

सिंह राशि के लोग ऐसी आवाज के धनी होते हैं, जिसे सुनते ही लड़कियां उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकती। इन लोगों का व्यक्तित्व सिंह के समान होता है। ये लोग खुले विचारों वाले होते हैं और आकर्षक व्यक्ति के धनी होते हैं। ये अच्छे प्रेमी होते हैं और इनके प्रेम संबंध काफी हद तक सफल रहते हैं।

प्रेम संबंधों को लेकर इन्हें विशेष महारत हासिल होती है। सिंह राशि वालों को आदर्श प्रेमी कहा जा सकता है। ये काफी भावुक और सुंदर शरीर वाले हैं। साथ ही ये अपने जीवन साथी या प्रेमी के प्रति काफी वफादार रहते हैं। मनमौजी स्वभाव के सिंह राशि वाले वैवाहिक जीवन को अंत तक निभाना चाहते हैं।
कन्या राशि

कन्या राशि के लोगों की गिनती महान प्रेमियों में नहीं की जा सकती। इस राशि के लोग आकर्षक व्यक्तित्व के धनी होते हैं। किसी को भी प्रभावित करने में इन्हें महारत हासिल होती है। वैसे इन्हें अच्छे प्रेमियों के श्रेणी में रखा जा सकता है। ये काफी अच्छे और वफादार जीवन साथी सिद्ध होते हैं। 

इनका वैवाहिक जीवन काफी मजबूत रिश्ते वाला होता है। अपने परिवार के प्रति इनका गहरा झुकाव होता है, परिवार के लिए ये कुछ भी त्याग कर सकते हैं। इनकी सोच केवल शारीरिक सुख प्राप्त करने की नहीं होती अपितु इनके लिए दिल से दिल का मिलन अधिक मायने रखता है।
तुला राशि

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तुला राशि के लोगों की गिनती महानतम प्रेमियों में की जा सकती है, क्योंकि इस राशि के लोग प्रेम की गहराई को काफी अच्छे से जानते हैं। ये कभी अकेले रहना पसंद नहीं करते, दु:ख की परिस्थिति में इन्हें किसी मित्र या प्रेमी के साथ और मदद की जरूरत रहती है।

इनका व्यक्तित्व काफी आकर्षक होता है जो कि अन्य लोगों को इनकी ओर आकर्षित करता है। इनसे मिलकर कोई भी तुरंत ही मोहित हो जाता है। इस राशि के प्रेमी किसी भी व्यक्ति से मिलकर उसके स्वभाव के बारे में सही-सही अंदाजा लगा लेते हैं। इनके लिए प्रेम एक पवित्र बंधन के समान होता है।
वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के लोग विवाह पूर्व उच्च आदर्श प्रेमी होते हैं। अपने प्रेम के लिए कुछ भी कर सकते हैं और सहर्ष ही सब कुछ त्याग भी सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वृश्चिक राशि के प्रेमी अपने साथी के प्रति पूरी तरह ईमानदार रहने का प्रयास करते हैं। इस राशि वालों में ईर्ष्या की भावना भी काफी अधिक होती है।

ये अपने प्रेमी या जीवन साथी की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। इन्हें परिवार और मित्रों से पूरा सहयोग प्राप्त होता है। इन्हें रोमांटिक प्रेमियों की श्रेणी रखा जाता है। इनका शारीरिक सौंदर्य देखते ही बनता है जिससे विपरीत लिंग इनके प्रति बहुत जल्द आकर्षित हो जाता है। 
धनु राशि

इस राशि के प्रेमी काफी संवेदनशील और खुशमिजाज होते हैं। यह हर पल को खुशी के साथ गुजारना चाहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार धनु राशि के व्यक्ति अच्छे प्रेमी होते हैं परंतु लंबे समय तक इनका प्रेम संबंध नहीं टिकता है। इस वजह से इनके कई प्रेमी होते हैं। इन्हें हमेशा नए चेहरे आकर्षित करते हैं।

एक प्रेमी के साथ हमेशा बंधकर रहना इनके स्वभाव में नहीं होता जिससे कई बार इनका जीवन साथी या अपने प्रेमी से विवाद होता रहता है। अधिकांशत: इस राशि के लोग प्रेम में धोखा मिलने से दु:खी अवश्य होते हैं परंतु जल्द ही ये अपना नया साथी भी तलाश कर लेते हैं।  
मकर राशि

मकर राशि के लोग थोड़े जिद्दी स्वभाव के होते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसी स्वभाव के कारण इन्हें प्रेम संबंध में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यह लोग अपने जीवन साथी को बहुत प्रेम करते हैं और उनकी सुरक्षा भी करते हैं परंतु अपनी आदतों के कारण कई बार इनका झगड़ा भी हो जाता है।

मकर राशि वाले के प्रेमियों को अच्छे प्रेमियों की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता क्योंकि इनका बदलता स्वभाव इनकी लव लाइफ को पूरी तरह से प्रभावित करता है। परंतु इस राशि के लोग एक बार जिसे अपना मान लेते हैं उसके प्रति पूरी ईमानदारी रखते हैं, ये इनका सबसे खास गुण होता है। 
कुंभ राशि 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस राशि के प्रेमी काफी भावुक और हर कार्य को दिल से करने वाले होते हैं। इस राशि के लोग थोड़े मूडी भी होते हैं। इनका प्रेम चिर स्थायी होता है। प्रेम में ये अति भावुक हो जाते हैं। यह लोग किसी अजनबी से भी नि:स्वार्थ प्रेम कर लेते हैं। मन से चंचल होने कारण इन्हें हमेशा नया-नया करने की आदत होती है।

इस राशि के लोग अपना जीवन स्वतंत्रता से जीना चाहते हैं। अपने जीवन साथी पर पूरा विश्वास रखते हैं। गुस्सा इन्हें कम आता हैं परंतु जब आता है तब ये खुद पर से नियंत्रण खो बैठते हैं। ऐसे कई बार बड़ी गड़बड़ी हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप इन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
मीन राशि
 
मीन राशि के प्रेमियों का स्वभाव मछली के जैसा होता है। अत: इस राशि के लोगों में वैसे ही गुण रहते हैं। इस राशि के लोग अति भावुक होते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भावुकता के कारण यह लोग बहुत जल्द विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित हो जाते हैं और उनके प्रेम में पड़ जाते हैं। इन्हें कोई भी आसानी से प्रभावित कर सकता है।

यह लोग प्रेम में अटूट संबंध बनाए रखना चाहते हैं परंतु इनका दिल कई बार टूटता है। वैसे तो इनकी लव लाइफ सामान्य ही रहती है। इनकी सोच होती है कि इनका लव पार्टनर इनके प्रति पूर्ण सहानुभूति रखे और समझदार हो। 

Wednesday, 4 June 2014

दुर्भाग्य को भी सौभाग्य में बदल देंगे स्वामी विवेकानंद

 के बताए ये उपाय

खुद पर विश्वास करो- स्वामी विवेकानंद के मुताबिक आज के दौर में नास्तिक वह है, जिसे खुद पर भरोसा नहीं, न कि केवल वो जो भगवान को न मानें। यानी आत्मविश्वास सफलता का सबसे बड़ा सूत्र है। आत्मविश्वास का भी सही मतलब यह है कि खुद में मौजूद भगवान के अलावा मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार से पैदा ‘मैं’ पर भी भरोसा रखें तो बेहतर है।
स्वामीजी ने इस बात को सरलता से समझने और खुद पर भरोसा पैदा करने के लिए तरीके भी बताए। ये हैं-
ताकतवर बनो- स्वामी विवेकानंद ने शरीर की ताकत को मन के साथ आध्यात्मिक तौर पर मजबूत बनाने व आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए जरूरी माना। इसके लिए उन्होंने यहां तक कहा कि कृष्ण या गीता की ज्ञान की शक्ति को समझने के लिए पहले शरीर को मजबूत बनाएं। इसके लिए गीता पढऩे से पहले फुटबाल खेलकर ताकतवर बनने की नसीहत दी। ताकि फौलादी बन व मजबूत संकल्प के साथ धर्म समझ सकें व अधर्म का मुकाबला कर सकें।
खुद को कमजोर या पापी न मानें- आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए जरूरी है कि कभी भी ऐसी सोच खुद के लिए न बनाएं कि मैं परेशान, कमजोर, पापी, दु:खी, शक्तिहीन हूं या कुछ भी करने की ताकत नहीं रखता। क्योंकि वेदान्त भूल को मानता है, पाप को नहीं और ऐसी बातें सोचना भी भूल ही है। इसलिए खुद को शेर मानकर जिएं न कि भेड़।
उम्मीद न छोड़ें- निराश न हों। हमेशा खुश रहें व मुस्कराते रहना देव उपासना-प्रार्थना की भी तुलना में भगवान के ज्यादा करीब ले जाता है।
निडरता- स्वामी विवेकानंद के मुताबिक हर इंसान की एक बार ही मृत्यु होती है। इसलिए मेरा कोई बड़ा काम करने के लिए जन्म हुआ है, यह सोचकर बिना किसी से डरे, बिना किसी कायरता के चाहे वज्रपात भी हो तो अपने काम में साहस के साथ लगे रहें।
अपने पैरों पर खड़े हों- किस्मत के भरोसे न बैठे, बल्कि पुरुषार्थ यानी मेहनत के दम पर खुद की किस्मत बनाएं। खडे हो जाओ, साहसी बनो और शकितमान बनो। इस सूत्र वाक्य के जरिए यही रास्ता बताया कि खुद जिम्मेदारी उठाओ। सारी शक्ति खुद के पास है, इसलिए खुद ही अपने सबसे बड़े मददगार हो। दरअसल, जो आज है वह पिछले जन्म में किए कामों को नतीजा है। इसलिए बेहतर कल के लिए आज के काम नियत करेंगे। इस तरह अपना भविष्य बनाना आपके हाथ में हैं।
संयम- इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है। इंसान बनने के लिए सबसे पहला कदम है- खुद पर काबू रखना यानी संयम। ऐसा करने वाले पर किसी भी बाहरी चीज या व्यक्तियों का असर नहीं होता। इससे ही धीरज, सेवा, शुद्धता, शांति, आज्ञा मानने, इंद्रिय संयम व मेहनत के भाव पनपते हैं।
इन बातों से तनाव कम, प्रेम ज्यादा और काम बेहतर होगा। सूत्र यही है कि पहले खुद मनुष्य बनों फिर दूसरों को मनुष्य बनाने में मदद करो। शासन करने के बजाए पहले खुद अनुशासित रहने की सोच रखें। लड़कियां भी सीता-सावित्री की तरह पवित्र जीवन जिएं।
स्वार्थी नहीं सेवक बनें- प्रेम ही जिंदगी व स्वार्थ मृत्यु है। इसलिए जिनको सेवा करने की चाहत हैं वे सारे स्वार्थ, खुशी, गम, नाम व यश की चाहतों की पोटली बनाकर समुद्र में फेंक करें। इस तरह सेवा के लिए त्याग व त्याग के लिए स्वार्थ छोडऩा जरूरी है। यानी निस्वार्थ होने से ही धर्म की परख होती है।
स्वार्थी सारे देव दर्शन, तीर्थयात्रा करने पर भी करे तो भगवान के निकट नहीं रह पाता। क्योंकि भक्ति का निचोड़ ही पावन होना और परोपकार करना है। गरीब, कमजोर व बीमारों की सेवा करने ये दोनों मकसद पूरे होते हैं।
आत्मत्याग व सेवा की अहमियत समझने के लिए याद करें कि जिन दीन-दुखियों के लिए भगवान ने कई अवतार लिए तो इंसान होकर क्यों न अपना जीवन भी न्यौछावर करें।
आत्मशक्ति को पहचाने और जगाएं- नाकामियों से बेचैन होने या थोड़ी सी कामयाबी से संतुष्ट होकर बैठने के बजाए लगातार आगे बढें। स्वामीजी का सूत्र वाक्य उठो, जागो और लक्ष्य पाने तक नहीं रुको, यही सबक देता है, जो आत्मशक्ति को जगाने से मुमकिन है।
आत्मशक्ति को जगाने के लिए बाहरी और भीतरी चेतना को कर्म, उपासना, संयम व ज्ञान में कोई भी एक या सभी को जरिया बना वश में करें और आत्मा रूपी ईश्वरीय भाव को उजागर करें।
इसे ही जिंदगी का अहम लक्ष्य मानकर "आत्मानो मोक्षार्यं जगद्धिताय च" की भावना के साथ खुद के साथ दूसरों को भी जीवन की सार्थकता और मुक्ति की राह बताएं।

Tuesday, 3 June 2014

हस्ताक्षर कुछ इस तरह बयां करतें हैं आपका 

नज़रिया

कहते हैं आपके अक्षर आपकी छवि बनाते हैं। आपके व्यक्तित्व को दर्शाते हैं यानी आप जो लिख रहे हैं उसमें भी बहुत कुछ आपके व्यवहार, विचार और भविष्य की अनंत गहराइयां छिपी रहती हैं।
आप किस तरह लिखते हैं ये बात बहुत मायने रखता है। दरअसल लिखने का संबंध हमारी सोच से होता है यानी हम जो सोचते हैं, करते हैं, जो व्यवहार में लाते हैं, वह सब कागज पर अपनी लिखावट और हस्ताक्षर के द्वारा अंकित कर रहे होते हैं। और यही हस्ताक्षर ही हमारे व्यवहार, समय, जीवन और चरित्र का निर्माण करते हैं।
यहां कुछ ऐसे ही नुस्खे दिए गए हैं जिन्हें आजमाकर आप अपने और दूसरों के हस्ताक्षर देखकर उनके जीवन के प्रति सोच और दूसरों के प्रति उनके रवैये को पहचान सकते हैं।
1. जो लोग बिना पेन उठाए एक ही बार में पूरा हस्ताक्षर करते हैं वह रहस्यवादी, लड़ाकू और रहस्यमयी प्रवृत्ति वाले होते हैं।
2. ऊपर से नीचे की ओर हस्ताक्षर करने वाले लोग नकारात्मक विचारों वाले एवं अव्यावहारिक होते हैं। इनकी मित्रता कम लोगों से रहती है।
3 ऐसे व्यक्ति जिनके हस्ताक्षर में अक्षर नीचे से ऊपर की ओर जाते हैं तो वह ईश्वर पर आस्था रखने एवं आशावादी और साफ दिल के रहते हैं, लेकिन इनका स्वभाव झगडालू रहता है।
4. अगर हस्ताक्षर के अंत में डॉट या डेश लगाते हैं वह डरपोक, शर्मीले और शक करने वाले होते हैं।
5. अगर व्यक्ति अपने हस्ताक्षर इस प्रकार से लिखता है जो काफी अस्पष्ट होते हैं तथा जल्दी-जल्दी लिखे गये होते हैं, वह व्यक्ति जीवन को सामान्य रूप से नहीं जीता। उसे हर समय उंचाई पर पहुंचने की ललक लगी रहती है। यह व्यक्ति घोखा दे सकता है पर घोखा खा नहीं सकता।
7. पेन पर जोर देकर लिखने वाले भावुक, उत्तेजक, हठी और स्पष्टवादी होते हैं।
8. जल्दी से हस्ताक्षर करने वाले कार्य को गति से हल करने व तीव्र व तात्कालिक बुद्धि प्रदर्शन करने वाले होते हैं।
9. अवरोधक चिह्न लगाने वाले व्यक्ति हीनता का शिकार होते हैं। सामाजिकता व नैतिकता की दुहाई देते हैं और आलसी प्रवृत्ति के होते हैं।
10. जिस व्यक्ति के हस्ताक्षर में अक्षर काफी छोटे और तोड़-मरोड़ कर खिलवाड़ करके बनाये गये हों और हस्ताक्षर बिल्कुल पढ़ने में नहीं आते, वह व्यक्ति बहुत चालाक होता है। वह अपने फायदे के लिए किसी का भी नुकसान करने और नुकसान पहुंचाने से नहीं चूकता।